*लेखक: “सुशील कुमार सुमन”*
अध्यक्ष, आईओए
सेल आईएसपी बर्नपुर
“29 अप्रैल की सुबह कुछ खास थी। दक्षिण भारत की थकाऊ यात्रा के बाद, बर्नपुर स्थित हमारे आवासीय बंगले में लौटकर, हम सभी शांति और सुकून का अनुभव कर रहे थे। बंगले के चारों ओर फैले बगीचे में फूलों और फलों की बहार थी—चार आम के पेड़ों पर इस बार जबरदस्त आम लगे थे, लीची की मिठास बगीचे में बिखरी थी, नींबू की खुशबू मन मोह रही थी, और जमरूल (पश्चिम बंगाल का विशेष फल) का स्वाद अद्वितीय था। अनार, कटहल, केले और अमरूद भी पूरी तरह तैयार थे, और इस बार केले से बने होममेड चिप्स का स्वाद भी खास था।
गर्मियों की छुट्टियाँ अपने पूरे शबाब पर थीं। बेटा युवराज अपने तीसरे समर कैंप में व्यस्त था, जबकि बेटी श्रेया का एनसीसी समर कैंप समाप्त हो चुका था। हालांकि एलन क्लासेस के कारण वह नए समर कैंप में शामिल नहीं हो सकी, लेकिन वह अपनी हॉबीज़ में पूरी तरह रम गई थी। घर का माहौल सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर था, और हर कोई अपनी-अपनी गतिविधियों में व्यस्त था।
29 अप्रैल से अब तक, मेरे आसपास तीन महत्वपूर्ण चुनाव हुए। पहला, IISCO ऑफिसर्स एसोसिएशन (IOA) का, जिसमें मैं स्वयं अध्यक्ष पद का उम्मीदवार था; दूसरा, भारती भवन का; और तीसरा, ज़ेनेक्स का। तीनों चुनावों में हमने न केवल भाग लिया, बल्कि शानदार जीत भी हासिल की। आईओए के चुनाव में हमारी टीम की जीत उल्लेखनीय रही, और अब आंतरिक चुनाव की तैयारियाँ जोरों पर हैं।
भारती भवन और ज़ेनेक्स के चुनावों में हमारी रुचि केवल राजनीतिक थी, लेकिन परिणामों के बाद कुछ विरोधियों ने अनावश्यक विवाद पैदा करने की कोशिश की। इन सभी चुनावों में एक बात सामान्य थी—विरोधियों की मानसिकता, जो लगभग एक जैसी थी। फिर भी, हम एक बार फिर IOA के अध्यक्ष बने, और अब घर की लंबित आवश्यकताओं को पूरा करना एक बड़ी चुनौती बन गई है।
इस पूरी कहानी की असली नायिका मेरी धर्मपत्नी बिनिता हैं। वह हर काम में पूरी तरह से शामिल रहती हैं—बच्चों के समर कैंप और छुट्टियों की तैयारी से लेकर उनके ट्यूशन और फरमाइशों तक। बंगले के बगीचे में लगे फूलों और फलों का 80% श्रेय बिनिता को ही जाता है। मेरे सभी चुनावी तनावों में भी वह मेरी सबसे बड़ी सहारा रही हैं। वास्तव में, घर की रीढ़ की हड्डी मेरी धर्मपत्नी ही हैं।
दक्षिण भारत की यात्रा के बाद, कई गतिविधियाँ हुईं और कुछ अभी भी जारी हैं। बर्नपुर क्लब के मानद सचिव के रूप में, वहां का काम भी अच्छी तरह चल रहा है। हम कैटरिंग सेवाओं को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं, और पहली बार क्लब में समर कैंप का आयोजन हुआ, जो सफल रहा। जब से मैं सचिव बना हूँ, तब से कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं—लोहड़ी उत्सव, विशेष पिकनिक, कपल वॉक, पोइला बैसाख, विभिन्न खेल और स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम, होली उत्सव, सामाजिक संध्या, संडे स्पेशल आदि। क्लब में आने वाले लोगों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, और सदस्य खुश हैं।
आने वाले समय में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाने हैं—सामाजिक संध्या, स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम, भव्य फैशन शो, फैशन शो के लिए अभ्यास सत्र, किशोरों के लिए मूवी शो, बर्नपुर Club एजीएम, रेन डांस आदि। आईओए में भी मेरी कई सामाजिक गतिविधियाँ चल रही हैं। वास्तव में, *“ज़िन्दगी… आज कल!”* बहुत ही व्यस्त और चुनौतीपूर्ण हो गई है।
जीवन की इस विविधता और व्यस्तता में भी, हर दिन एक नई ऊर्जा और उत्साह के साथ शुरू होता है। परिवार, समाज और कार्यक्षेत्र में संतुलन बनाए रखना कठिन है, लेकिन संभव है। इस यात्रा में मेरी धर्मपत्नी बिनिता का योगदान अमूल्य है, और उनके सहयोग के बिना यह सब संभव नहीं होता। मैं सभी का धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंने इस यात्रा में मेरा साथ दिया।
*धन्यवाद!*