*“हर बच्चे के सपनों में कोई सुपरहीरो होता है,”**
जो हर दुख में ढाल बन जाता है।
मेरे लिए वो कोई परीकथा का पात्र नहीं,
बल्कि मेरे पापा हैं – सच्चे, सरल, और महान कहीं।
*“न लबों पर शेखी, न आँखों में घमंड,”*
उनके हर कदम में छुपा होता है समर्पण का छंद।
जब वो चलते हैं मदद की राहों में,
तो झुकते हैं आसमान भी उनके पाँवों में।
*“मेरे पापा हैं मेरे सुपरहीरो, सबसे बड़े वीर,”*
हर मुश्किल में रहते हैं सबसे आगे, सबसे निडर, सबसे गंभीर।
नहीं पहनते वो मास्क, न उड़ते हैं हवा में,
पर उनके साहस की मिसाल है हर दिशा में, हर दुआ में।
*“वो हैं सामाजिक सेवा के सजग सिपाही,”*
हर बेसहारा की उम्मीद, हर ज़रूरतमंद की पनाही।
दीन-दुखियों को अपनाकर वो दिखाते हैं राह,
कभी भोजन, कभी कपड़े, कभी बस एक मुस्कान की चाह।
जिसे सबने छोड़ा, उन्हें भी गले लगाते हैं,
माँ के आँचल-से सुकून वो सबको बाँट आते हैं।
*“जब मैं देखता हूँ उन्हें काम में, कर्म में, संकल्प में,”*
तो लगता है जैसे देवता उतर आए हों धरती के अंतर्मन में।
वो जब किसी की मदद करते हैं बेझिझक,
मेरा सीना गर्व से फूल जाता है अनगिनत पलों तक।
उनकी हर मुस्कान में छुपा होता है जीवन का पाठ,
हर कर्म में होती है सच्चाई की सौगंध साथ।
*“वो सिखाते हैं – डर से कभी मत घबराना,”*
हर तूफान में भी उम्मीद का दीप जलाना।
कहते हैं – “बेटा, डर को आँखों में देखो,
सच्चाई के साथ रहो, कभी झूठ से न रेखो।”
जब मैं काँपता हूँ परीक्षा या अंधेरे से,
पापा की बातें बनती हैं रौशनी मेरे दायरे से।
*“गणित का सवाल हो या कोई लंबा निबंध,”*
जब पापा बैठते हैं मेरे पास, होता है समाधान संबंध।
उनके साथ पढ़ाई बनती है सरल-सी बात,
जैसे कोई जादूगर हर परेशानी को कर दे साफ़-साफ़।
वो कभी नहीं डाँटते, बस समझाते हैं प्यार से,
उनकी संगत में ज्ञान आता है बौछार से।
*“खेल के मैदान में भी वो हैं मेरे साथी,”*
फुटबॉल के संग बताते हैं जीवन की गाथा सच्ची।
“हारो या जीतो, खेलो दिल से”,
यही उनका मंत्र गूँजता है मेरे मन के सिलसिले में।
वो खुद गिरकर उठते हैं फिर से,
और मुझे सिखाते हैं – खेल में है चरित्र का सच्चा सबक वैसे।
*“रविवार के दिन होते हैं जादू से भरे,”*
जब पापा बनते हैं शेफ, संगीतकार और सच्चे प्यारे।
पैनकेक की खुशबू, गिटार की धुनें,
उन पलों में कोई चिंता न जले, न धुनें बुझे।
हम हँसते हैं, नाचते हैं, गाते हैं साथ,
उन क्षणों में लगता है – यही तो है जीवन का सौंदर्यपथ।
*“कभी-कभी हम निकल जाते हैं कैंपिंग की ओर,”*
जहाँ जंगल होते हैं दोस्त, और तारे होते हैं छोर।
वो सिखाते हैं – कैसे टेंट लगाया जाता है,
कैसे प्रकृति से प्रेम निभाया जाता है।
जंगल की रातों में डर नहीं लगता,
क्योंकि पापा की कहानियाँ रोमांच से भर देती हैं पग-पग चलता।
*“वो कहते हैं – दुनिया को बेहतर बनाओ,”*
हर किसी से प्रेम और दया का रिश्ता निभाओ।
“अच्छाई छोटी बात नहीं है,” वो समझाते हैं,
“दयालुता ही असली वीरता है,” सिखाते हैं।
जब वो किसी बच्चे को गले लगाते हैं बिना पूछे,
तब मुझे समझ आता है – इंसानियत क्या सच्चे में भूले?
*“मेरे लिए पापा ही मेरी दुनिया हैं पूरी,”*
वो हैं धरती, वो हैं अम्बर, वो हैं जीवन की धुरी।
अगर मैं गिरूँ, तो उनकी हथेली मुझे थामे,
अगर मैं उड़ूँ, तो उनका आशीर्वाद पंखों में थामे।
उनकी आँखों में है विश्वास का समंदर,
उनकी चुप्पी में भी है प्रेम का गूढ़ मंतर।
*“जब भी मैं थक जाऊँ, उनका हाथ मेरे कंधे पर होता है,”*
जब भी मैं मुस्कराऊँ, सबसे पहले उनकी नजरें मेरी हँसी में खोता है।
वो हैं मेरे पहले गुरु, पहले मित्र, और पहले आदर्श,
उनके बिना ये जीवन है अधूरा, फीका और अनिश्चित।”
*“तो इस कविता के माध्यम से मैं कहना चाहता हूँ –*
पापा, आप ही मेरे जीवन की सबसे सुंदर संज्ञा हो।
आपके बिना ये आसमान अधूरा है,
आपके साथ ही ये जीवन मंज़िल से भरपूरा है।”
*“फ़ादर्स डे की आप सभी को अनेको-अनेक बधाइयाँ।*
*पिता, जीवन की वो छाया हैं जो हर हाल में साथ रहती है।”*
🙏💐
कवि: *“सुशील कुमार सुमन”*
अध्यक्ष, आईओए
सेल आईएसपी बर्नपुर