आज का भारत तेज़ी से बदल रहा है — यह परिवर्तन केवल नीतिगत दस्तावेज़ों या राजनीतिक बयानों में नहीं, बल्कि देश के भौतिक परिदृश्य में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। नए बनाए गए सड़क मार्ग, एक्सप्रेसवे और अंतरराष्ट्रीय स्तर के हवाई अड्डे इस बदलाव के साक्षी हैं। यह विकास भारत के शहरों को आपस में जोड़ने और लोगों को सशक्त बनाने की एक गहरी सोच को दर्शाता है। कभी उपेक्षित समझा जाने वाला रेलवे क्षेत्र अब इस बदलाव का प्रमुख हिस्सा बन रहा है, जो अब भीड़भाड़ और जर्जर छवि से उबरकर संस्कृति, कुशलता और नवाचार का प्रतीक बनता जा रहा है।
अमृत भारत स्टेशन योजना इस परिवर्तन की केंद्रीय कड़ी है। भारतीय रेल द्वारा संचालित यह योजना देश भर के 1300 से अधिक रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण करने का संकल्प है। लेकिन यह पहल केवल वास्तुशिल्प सुधार या तकनीकी उन्नयन तक सीमित नहीं है। यह सार्वजनिक अवसंरचना को देखने के दृष्टिकोण में एक मूलभूत बदलाव को दर्शाती है — जहाँ कार्यात्मकता के साथ समावेशिता, विरासत के साथ आधुनिकता और सुविधा के साथ स्थिरता को जोड़ा गया है। इस योजना में स्टेशन को केवल यात्रा के पड़ाव के रूप में नहीं, बल्कि एक जीवंत, समेकित स्थान के रूप में देखा गया है जो शहर की पहचान को दर्शाता है और उसके समुदाय की सेवा करता है।
इस योजना की आत्मा में यह विचार निहित है कि गुणवत्तापूर्ण सार्वजनिक सेवाएं नागरिकों की गरिमा और कल्याण में सीधा योगदान देती हैं। पहले जहाँ स्टेशन केवल भीड़ को संभालने पर केंद्रित होते थे, अब उन्हें एक नागरिक केंद्र के रूप में देखा जा रहा है — एक ऐसा स्थान जो संस्कृति, अर्थव्यवस्था और दैनिक जीवन को जोड़ता है। प्रत्येक स्टेशन के लिए एक विशेष मास्टर प्लान तैयार किया जाता है, जो उसके स्थान, यात्री संख्या और स्थानीय पहचान के अनुरूप होता है। ये योजनाएं लचीली होती हैं और भविष्य की तकनीकों, जनसंख्या वृद्धि और शहरी ज़रूरतों के अनुसार बदल सकती हैं। विकास चरणबद्ध तरीके से होता है जिससे मौजूदा संचालन पर न्यूनतम प्रभाव पड़े और नवाचार के लिए स्थान बना रहे।
यह योजना केवल बाहरी सजावट या प्लेटफार्म बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह रेलवे स्टेशन के पूरे उद्देश्य को ही पुनर्परिभाषित करती है। अब स्टेशन को एक ऐसे स्थान के रूप में देखा जाता है जो केवल यात्रा नहीं, बल्कि खरीदारी, पर्यटन, व्यापार और सामुदायिक गतिविधियों का केंद्र भी हो। हर डिज़ाइन निर्णय का केंद्र यात्रियों का अनुभव बेहतर बनाना है। प्रवेश और निकास के बिंदु पुनः संरचित किए जा रहे हैं ताकि भीड़ कम हो और आवाजाही सुचारू रहे — विशेष रूप से बुजुर्गों, छोटे बच्चों वाले परिवारों और विकलांगों के लिए।
स्टेशन के अंदर, आधुनिक प्रतीक्षालय, बेहतर रोशनी, वायु परिसंचरण और एर्गोनोमिक बैठने की व्यवस्था अब पुराने, संकरे और अंधेरे स्थानों की जगह ले रहे हैं। शौचालयों को उच्च स्वच्छता और सुविधा मानकों के अनुरूप बनाया जा रहा है। डिजिटल कियोस्क बहुभाषी सहायता प्रदान करते हैं और टिकट काउंटरों की कतारों को कम करते हैं, जिससे सभी यात्रियों के लिए पहुँच आसान होती है। विकलांगों और बुजुर्गों के लिए लिफ्ट, एस्केलेटर और स्पष्ट संकेतक लगाए जा रहे हैं, जिससे वे स्वावलंबी रूप से स्थान पर आवाजाही कर सकें।
इस परियोजना में स्वच्छता, सांस्कृतिक अभिव्यक्ति और पर्यावरणीय चेतना पर भी ज़ोर दिया गया है। स्वच्छ स्टेशन केवल स्वच्छता का प्रतीक नहीं, बल्कि यात्रियों के प्रति सम्मान और गरिमा का प्रतीक माने जाते हैं। नि:शुल्क वाई-फाई यात्रियों को, चाहे वे दूरदराज़ के क्षेत्रों से हों या आधुनिक पेशेवर, जोड़ता है और जानकारी की पहुंच सुनिश्चित करता है।
योजना में हरित पथ और जलवायु-संवेदनशील हरियाली जैसी पर्यावरण-मित्र विशेषताओं को शामिल किया गया है। ये न केवल पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हैं बल्कि स्टेशन को अधिक सुंदर और आरामदायक बनाते हैं। ऊर्जा-कुशल प्रणालियाँ, बेहतर वायु प्रवाह और बिना गिट्टी वाली पटरियों का उपयोग शोर, प्रदूषण और रखरखाव की समस्याओं को कम करता है। जहाँ संभव हो, छतों पर प्लाज़ा बनाए जा रहे हैं जो सामुदायिक मिलन और व्यावसायिक गतिविधियों के लिए स्थान प्रदान करते हैं।
इस योजना की एक अनूठी विशेषता है “वन स्टेशन वन प्रोडक्ट” कार्यक्रम। यह स्टेशन को एक बाज़ार में बदल देता है जहाँ स्थानीय कारीगर अपने क्षेत्रीय हस्तशिल्प, हथकरघा, खाद्य और विशेष उत्पादों को प्रदर्शित और बेच सकते हैं। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलता है, पारंपरिक कला रूपों को पुनर्जीवित किया जाता है और यात्रियों व समुदायों के बीच एक गहरा संबंध बनता है। यह स्थानीय सरकारों और रेलवे के बीच बेहतर सहयोग को भी प्रोत्साहित करता है।
जैसे-जैसे यह योजना आगे बढ़ रही है, स्टेशनों में कार्यकारी लॉन्ज, बैठक क्षेत्र और वास्तविक समय में डिजिटल अपडेट जैसी सुविधाएँ जोड़ी जा रही हैं, जो पर्यटकों, तीर्थयात्रियों और व्यावसायिक यात्रियों की आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। डिज़ाइन दर्शन मानव-केंद्रित सोच पर आधारित है — यह सुनिश्चित करते हुए कि हर यात्री को स्वागत, सहयोग और प्रतिनिधित्व का अनुभव मिले। यह एक उपयोगितावादी डिज़ाइन मॉडल से हटकर उस मॉडल की ओर बढ़ता है जिसमें यात्री की सुविधा, नागरिक गौरव और दीर्घकालिक लचीलापन प्राथमिकताएं हैं।
भारत के रेलवे स्टेशन अब केवल यात्रा की शुरुआत के स्थान नहीं रह गए हैं — वे भावनात्मक और सामाजिक यात्राओं की भी शुरुआत बनते जा रहे हैं। ये राष्ट्र की विविध संस्कृति के दर्पण हैं और एकता तथा अवसर के द्वार हैं। अमृत भारत स्टेशन योजना केवल अवसंरचना को आधुनिक नहीं कर रही — यह रेलवे स्टेशनों की भूमिका को ही पुनर्परिभाषित कर रही है। यह देखभाल, पहचान और गरिमा को यात्रा अनुभव के केंद्र में रखती है, यह सुनिश्चित करते हुए कि हर नागरिक को ऐसे सार्वजनिक स्थान मिलें जो गर्व की अनुभूति कराएं और सुविधा प्रदान करें। यह दृष्टिकोण, शहरी डिज़ाइन और सतत विकास को पूर्ण रूप से एकीकृत कर, यह सुनिश्चित करता है कि ये स्टेशन आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रासंगिक, कार्यात्मक और अर्थपूर्ण बने रहें।
– जया वर्मा सिन्हा
पूर्व अध्यक्ष, रेलवे बोर्ड