*“5 अगस्त – भारत के पुनर्जागरण का दिन!..”*
…याद है 5 अगस्त?
“वही दिन जब भारत ने अपने इतिहास में एक ऐसा पृष्ठ जोड़ा, जो आने वाली पीढ़ियों को न केवल गर्व से भर देगा बल्कि यह भी सिखाएगा कि राष्ट्र का जीवन केवल भौगोलिक सीमाओं में नहीं, बल्कि उसके संविधान, संस्कृति और आत्मसम्मान में निहित होता है।
5 अगस्त 2019 – वह दिन जब भारत ने संविधान के अनुच्छेद 370 और 35A को हटाकर जम्मू-कश्मीर को दी गई विशेष स्थिति समाप्त की और “एक देश – एक संविधान – एक ध्वज” की अवधारणा को साकार किया।
और ठीक एक साल बाद, 5 अगस्त 2020 – अयोध्या में श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन के साथ भारत की सांस्कृतिक चेतना का वह सपना पूरा हुआ, जो सदियों से अधूरा था।
ये दोनों घटनाएँ अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़ी होने के बावजूद, एक साझा संदेश देती हैं – भारत की आत्मा अब और बँटी हुई नहीं रहेगी। चाहे वह संविधानिक एकरूपता हो या सांस्कृतिक पहचान, अब भारत का हर हिस्सा, हर नागरिक, एक ही राष्ट्रधारा में प्रवाहित है।”
*“अनुच्छेद 370 का इतिहास और उसकी जड़ें”*
1947 में जब भारत ब्रिटिश शासन से मुक्त हुआ, जम्मू और कश्मीर एक स्वतंत्र रियासत था। महाराजा हरि सिंह ने पाकिस्तान के कबायली आक्रमण के बाद भारत से सैन्य मदद मांगी और बदले में भारत के साथ विलय पत्र (Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते में रक्षा, विदेशी मामले और संचार के विषय भारत सरकार के अधीन आए, लेकिन बाकी विषयों पर राज्य को विशेष अधिकार मिले।
संविधान सभा में इस व्यवस्था को अनुच्छेद 370 के रूप में शामिल किया गया। इसके तहत जम्मू-कश्मीर को अपना संविधान बनाने का अधिकार मिला, और भारत के अन्य कानून तभी लागू होते जब राज्य की विधानसभा उन्हें स्वीकार करती। इसके साथ ही अनुच्छेद 35A जोड़ा गया, जिसने राज्य सरकार को यह तय करने का अधिकार दिया कि स्थायी निवासी कौन होंगे और उन्हें कौन से विशेष अधिकार प्राप्त होंगे।
*“विशेष दर्जे के परिणाम”*
“शुरुआती वर्षों में इसे अस्थायी प्रावधान कहा गया था, लेकिन समय के साथ यह स्थायी रूप से लागू होता गया। इसका असर कई रूपों में सामने आया –
1. “राजनीतिक अलगाव” – जम्मू-कश्मीर की राजनीति मुख्यतः स्थानीय दलों के इर्द-गिर्द सिमट गई। राष्ट्रीय राजनीतिक प्रक्रिया में राज्य की भागीदारी सीमित रही।
2. “आर्थिक पिछड़ापन” – बाहरी निवेश न आने से उद्योग, रोज़गार और आधारभूत ढाँचे का विकास अपेक्षित स्तर तक नहीं हो पाया।
3. “सामाजिक दूरी” – देश के अन्य हिस्सों के नागरिक यहाँ भूमि नहीं खरीद सकते थे, जिससे पारस्परिक सांस्कृतिक आदान-प्रदान सीमित रहा।
4. “राष्ट्रीय सुरक्षा” – पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद और अलगाववाद को यहाँ मजबूत जमीन मिली।
*“5 अगस्त 2019 – ऐतिहासिक परिवर्तन”*
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को एक निर्णायक कदम उठाया। राष्ट्रपति के आदेश के तहत अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया और अनुच्छेद 35A स्वतः समाप्त हो गया। साथ ही, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेशों के रूप में पुनर्गठित किया गया।
यह कदम केवल एक कानूनी बदलाव नहीं था, बल्कि यह भारत की एकता के संकल्प का प्रतीक था। अब देश के हर कोने में एक ही संविधान, एक ही कानून और एक ही राष्ट्रीय ध्वज लागू हो गया।
*“जनमानस की प्रतिक्रिया”*
देश के अधिकांश हिस्सों में यह निर्णय एक पर्व के रूप में मनाया गया। इसे “पहला पूर्ण स्वतंत्रता दिवस” कहा गया – क्योंकि अब कोई भी राज्य संविधान से अलग विशेषाधिकार नहीं रखता।
हालाँकि, कुछ राजनीतिक दलों और नेताओं ने इसे असंवैधानिक और जनभावनाओं के विपरीत बताया। लेकिन बहुसंख्यक जनमानस के लिए यह भारत की अखंडता की दिशा में निर्णायक कदम था।
*“एक देश – एक संविधान – एक ध्वज”*
इस निर्णय का सबसे बड़ा संदेश यही था कि अब भारत का हर नागरिक समान अधिकारों और कर्तव्यों का भागीदार है। कोई भी राज्य संवैधानिक दृष्टि से अलग-थलग नहीं रहेगा। यह कदम डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के उस नारे की प्रतिध्वनि था – *“एक देश में दो संविधान, दो प्रधान, दो निशान नहीं चलेंगे।”*
*“5 अगस्त 2020 – सांस्कृतिक पुनर्जागरण का दिवस”*
“जब देश 5 अगस्त 2019 के निर्णय के प्रभावों को आत्मसात कर रहा था, ठीक एक साल बाद, 5 अगस्त 2020 को एक और ऐतिहासिक घटना घटी।
अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के भूमि पूजन का अनुष्ठान किया। यह घटना केवल एक मंदिर के निर्माण की शुरुआत नहीं थी, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक चेतना, आस्था और ऐतिहासिक न्याय का प्रतीक थी।
सदियों के संघर्ष, कानूनी लड़ाइयों और सामाजिक आंदोलनों के बाद यह दिन आया था। यह घटना उस सभ्यता के गौरव की पुनर्स्थापना थी, जिसने हजारों वर्षों तक मानवता, धर्म और संस्कृति की मशाल जलाए रखी।
दोनों घटनाएँ अलग पृष्ठभूमि से आती हैं – एक संवैधानिक सुधार, दूसरी सांस्कृतिक पुनर्जागरण – लेकिन इनका मूल संदेश एक है:
भारत अब बँटा हुआ नहीं रहेगा।
ना तो संवैधानिक विशेषाधिकारों की दीवारें रहेंगी, ना ही सांस्कृतिक अस्मिता पर कोई परदा।
इन निर्णयों के बाद चुनौतियाँ खत्म नहीं हुई हैं। जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास सुनिश्चित करना, वहाँ के युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ना, और धार्मिक-सांस्कृतिक मुद्दों पर राष्ट्रीय एकता बनाए रखना – ये सभी कार्य अभी जारी हैं।
इसके लिए केवल कानून या निर्णय ही नहीं, बल्कि धैर्य, संवाद और सतत प्रयास की आवश्यकता है।
*“5 अगस्त – पूर्ण स्वतंत्रता दिवस का प्रतीक”*
अगर 15 अगस्त 1947 हमारी राजनीतिक स्वतंत्रता का प्रतीक है, तो 5 अगस्त 2019 को हम संवैधानिक और सांस्कृतिक दृष्टि से एकीकृत राष्ट्र के रूप में देख सकते हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता केवल विदेशी शासन से मुक्ति नहीं है, बल्कि आंतरिक विषमताओं और विभाजनों को समाप्त करने का संकल्प भी है।
आज जब हम 5 अगस्त की ओर देखते हैं, तो यह केवल तिथियों का मेल नहीं है। यह राष्ट्र की उस यात्रा का प्रतीक है, जिसमें वर्षों से बिखरे हुए सूत्र एक साथ आकर एक अखंड भारत का ताना-बाना बुनते हैं।
यह दिन हमें गर्व से भर देता है, लेकिन साथ ही यह जिम्मेदारी भी देता है कि हम इस एकता, अखंडता और सांस्कृतिक गौरव को बनाए रखें।
*“एक देश – एक संविधान – एक ध्वज – एक भाव”* – यही 5 अगस्त का सच्चा संदेश है।
*“5 अगस्त का विज्ञान प्रभाव !..”*
5 अगस्त 2023 को भारत के अंतरिक्ष अभियान में एक अहम पड़ाव आया। उस दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-3 ने सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया। यह घटना भारत के लिए गर्व का क्षण थी क्योंकि इससे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरने की दिशा में एक बड़ा कदम पूरा हुआ।
चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया था। इसका उद्देश्य चंद्रमा पर सुरक्षित और सफल लैंडिंग करना, वहाँ की सतह का अध्ययन करना और वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देना था। 5 अगस्त 2023 को जब यह चंद्रमा की कक्षा में पहुँचा, तब मिशन का सबसे चुनौतीपूर्ण चरण शुरू हुआ, जिसमें सटीक गणनाओं और तकनीकी कौशल की आवश्यकता थी।
यह उपलब्धि केवल तकनीकी सफलता नहीं थी, बल्कि यह भारत की वैज्ञानिक क्षमता, धैर्य और लक्ष्य के प्रति दृढ़ संकल्प का प्रतीक बनी। इस दिन ने यह भी साबित किया कि भारत अब वैश्विक अंतरिक्ष विज्ञान में अग्रणी देशों की कतार में मजबूती से खड़ा है।”
*“एक देश – एक संविधान – एक ध्वज – एक भाव -एक गहन विज्ञान”* – यही 5 अगस्त का सच्चा संदेश है।
“हालांकि यह भारत संबंधी घटना नहीं थी, पर अतः संदर्भ में उल्लेखनीय है कि 5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अचानक इस्तीफा दिया और भारत में शरण ली।”
*✍️ “सुशील कुमार सुमन”*
अध्यक्ष, आईओए
सेल आईएसपी बर्नपुर