आसनसोल, पश्चिम बंगाल कांक्सा थाना अंतर्गत पानागढ़ रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या दो पर रोते बिलखते एक बुजुर्ग दंपत्ति को देखा गया, बुजुर्ग दंपत्ति की पहचान सोदपुर माना के रहने वाले संकर चौधरी और उनकी पत्नी कुंती चौधरी के रूप मे हुई है, संकर चौधरी 40 वर्ष से ज्यादा समय से सोदपुर माना इलाके मे रहकर खेती गृहस्ती का कार्य कर अपना और अपने पूरे परिवार का भरण पोषण करते हैं, परिवार मे उनकी पत्नी के अलावा उनके दो पुत्र और दो पुत्री भी थी, जिनमे से उन्होने अपने दोनों बेटियों का विवाह उत्तर प्रदेश बलिया जिले के गाजीपुर इलाके मे की है, जबकि उनके दो बेटे उनके साथ पानागड़ सोदपुर माना मे ही अपने पिता के साथ खेती गृहस्ती मे हाथ बटा रहे थे,
बुजुर्ग दंपत्ति ने अपने दोनों बेटों की भी शादी कर दी है, बुजुर्ग का बड़ा बेटा फिलहाल अब इस दुनिया मे नही है और ना ही उसकी पत्नी ही इस दुनिया मे जीवित है, उनके दो बच्चे हैं जो किसी और राज्य मे कार्य करते हैं और अपना भरण पोषण खुद करते हैं, घर मे बुजुर्ग दंपत्ति के साथ उनका छोटा बेटा मोहन चौधरी और उनकी पत्नी रहते हैं, बुजुर्ग की अगर माने तो उनका बेटा और बहु आए दिन किसी ना किसी बातों को लेकर उनके साथ मारपीट और झगड़ा -झंझट करते रहते हैं, यहाँ तक की उन्होंने शुक्रवार को अपने बुजुर्ग माता पिता को घर से बाहर निकाल दिया, जिसके बाद दोनों बुजुर्ग दंपत्ति पानागढ़ रेलवे स्टेशन आ गए जहाँ प्लेटफार्म संख्या दो पर एक तरफ जहाँ बुजुर्ग महिला कुंती चौधरी अपने जिगर के टुकड़े और उसकी पत्नी के द्वारा किये गए अत्याचार को याद कर दहाड़ लगाकर रोते हुए नजर आई तो वहीं दूसरी ओर बुजुर्ग पिता अपने बेटे के साथ बिताए पुरानी यादों को तरोताजा कर अपनी आँखों से बह रहे अस्क को अपने गमछे से पोंछते हुए नजर आया, प्लेटफार्म पर मौजूद कुछ यात्रीयों ने बुजुर्ग पिता से उनके रोने का कारन पूछा तो बुजुर्ग उनको टकटकी लगाकर देखता हुआ नजर आया इस आस मे कहीं उनको मनाने उनका बेटा तो नही आया है, अपने बेटे का चेहरा न देखकर उसके जगह किसी अजनबी का चेहरा देखकर वह दोबारा किसी गहरी सोंच मे पड़ आंसू बहाने लगा और किसी को अपने जिगर के टुकड़े के द्वारा की गई यातनायें के बारे मे एक शब्द तक अपने मुह से बाहर नही कहा शायद यह सोंचकर की उनको दुख देने वाला कोई गैर थोड़े ही है वो तो उनका अपना राज दुलारा है, वो राज दुलारा जिसके हर जिद हर एक ख्वाहिश को बुजुर्ग दंपत्ति ने पूरी की किसी चीज के लिये अपने बेटे के आँखों मे आंसू आने से पहले खुद कस्ट सहा तकलीफें सही और दिन रात मेहनत मजदूरी कर अपना खून पसीना बहाकर अपने बेटे का पालन पोषण कर उसको बड़ा किया उसकी विवाह करवाई यह सोंचकर की बूढ़े होने पर बेटा उनका लाठी बनेगा उनकी सेवा करेगा पर जब बुजुर्ग दंपत्ति का शरीर जवाब दे दिया वह जब मेहनत मजदूरी करने लायक़ नही रहे तो उसी बेटे और बहु ने उनके ही घर से बाहर निकाल दिया और उन्हे भूखे मरने पर भी मजबूर कर दिया, बुजुर्ग महिला कुंती चौधरी ने रोते -रोते और अपने लड़खड़ाती हुई आवाज मे कहा उनको उनके बेटे और बहु ने घर से बाहर निकाल दिया अब वह कहाँ जायेंगे क्या करेंगे क्या खाएंगे कैसे अपनी जीविका चलाएंगे वह कुछ नही जानते उनके पास कुछ नही है, जो था वह सबकुछ अपने बेटे बहु को दे दिया और आज उन्होंने उनको ही बेघर कर दिया उनको भूखे मरने के लिये दरबदर भटकने के लिये छोड़ दिया, बुजुर्ग दंपत्ति को प्लेटफार्म पर रोता बिलखता देख हर कोई दुखी हो गया पर जिनको दुखी होना था वह दुखी नही हुए और वह अपने माता पिता के आंसू बहाकर ख़ुशी की जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं