*“स्वराज का अग्रदूत – लोकमान्य तिलक”*
(जयंती पर कोटि-कोटि नमन)
“स्वराज की जो जलाई मशाल,
थरथराए थे फिरंगियों के भाल,
जन-जन में जो चेतना जगी,
उस चेतना का नाम था बाल।
बोल पड़े जो सिंह गर्जना कर,
“स्वराज है जन्मसिद्ध अधिकार”,
गूंज उठा वह नारा हर दिल में,
उठ खड़ा हुआ भारत अपार।
तिलक थे वो, सिर्फ नाम नहीं,
भारत की आत्मा के पवित्र पंक्ति थे,
शब्दों से जला दी क्रांति की ज्वाला,
कदम-कदम पर जोश की शक्ति थे।
गणपति उत्सव को जनजागरण बनाया,
धर्म और संस्कृति से देश को जगाया,
कलम को भी बनाया उन्होंने हथियार,
केसरी और मराठा से भरा विचार।
कारावास की काल-कोठरी में भी,
आशा की किरण जगाते रहे,
पत्थरों पे भी लिखते रहे भारत,
मन की मशाल जलाते रहे।
जिनके विचारों ने दिशा दिखाई,
उनसे ही पीढ़ियाँ प्रेरणा पाईं,
आज उनकी पावन जयंती पर,
भावभीनी श्रद्धांजलि लुटाईं।
लोकमान्य को शत-शत नमन,
भारत माँ के सच्चे रत्न!
तिलक तेरे विचार अमर रहेंगे,
हर युग में ये दीप जलेंगे।”
कवि::
🇮🇳🙏
“सुशील कुमार सुमन”
अध्यक्ष, IOA
SAIL ISP Burnpur