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*शिबू सोरेन का निधन: झारखंड का ‘दिशोम गुरु’ विदा हुआ*

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ASANSOL DASTAK ONLINE DESK

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*नई दिल्ली, 4 अगस्त 2025* – झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक नेता और पूर्व मुख्यमंत्री **शिबू सोरेन** का आज सुबह दिल्ली के **सर गंगाराम अस्पताल** में निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे ([Maharashtra Times][1])।

पारिवारिक सूत्रों और मीडिया के अनुसार, सोरेन लंबे समय से **गुर्दे (kidney) संबंधित बीमारी** से पीड़ित थे और लगभग एक महीने से अस्पताल में वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। उपचार जटिल हो गया था और आज सुबह **8:56 बजे भारतीय समयानुसार** उन्होंने अंतिम श्वास ली ([www.ndtv.com][2])।

*जीवन परिचय एवं राजनीतिक योगदान*

*जन्म एवं प्रारंभिक जीवन*
शिबू सोरेन का जन्म **11 जनवरी 1944** को रामगढ़ (तत्कालीन बिहार, अब झारखंड) में सांथाल जनजाति में हुआ था। उन्होंने आदिवासी अधिकारों और भूमि न्याय की लड़ाई से राजनीति की शुरुआत की और 1972 में JMM की स्थापना की ([India Today][3])।

*राजनीतिक करियर*
वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे — मार्च 2005 की नौ दिन की पहली अवधि, अगस्त 2008–जनवरी 2009, और दिसंबर 2009–मई 2010 तक़ तक ([India Today][3])।
साथ ही उन्होंने केंद्र में **कोयला मंत्री** के रूप में तीन अलग-अलग अवधियों में कार्य किया ([en.wikipedia.org][4], [India Today][3])।

  लोकसभा सदस्य के रूप में उन्होंने 1980–1984, 1989–1998 और 2002–2019 तक दमका निर्वाचन क्षेत्र से लगातार प्रतिनिधित्व किया; वर्तमान में वह राज्य से राज‍्यसभा सांसद थे ([en.wikipedia.org][4])।

*विरासत*
‘दिशोम गुरु’ (Dishom Guru) के नाम से पहचाने जाने वाले सोरेन झारखंड की स्वराज्य–आंदोलन के प्रतीक बने। उनके बेटे **हेमंत सोरेन**, जो वर्तमान में मुख्यमंत्री हैं, ने इस संदेश के माध्यम से दुख व्यक्त किया:

आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूँ…” ([www.ndtv.com][2])।

*निधन का सामाजिक‑राजनीतिक प्रभाव*

<span;><span;>* झारखंड एवं देश भर में सोरेन के निधन से गहरा शोक व्याप्त है। स्थानीय आदिवासी समुदायों, राजनीतिक संगठन एवं राजनैतिक दलों ने उन्हें **आदिवासी अधिकारों के संरक्षक** के रूप में याद किया है ([Maharashtra Times][1], [Navbharat Times][5], [timesofindia.indiatimes.com][6])।

*प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी* ने भी उनका निधन दुःखद बताया और लिखा कि सोरेन “आदिवासी समुदायों, गरीबों और वंचितों को सशक्त करने” में हमेशा समर्पित रहे ([www.ndtv.com][7], [indianexpress.com][8])।

*संपत्ति और निजी जीवन*

<span;><span;>* मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सोरेन के पास दिल्ली में एक मकान था। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश में भी उनकी जमीन-जायदाद दर्ज है। नकद और ज्वेलरी समेत उनकी कुल संपत्ति उल्लेखनीय बताई गई है ([Navbharat Times][9])।

<span;><span;>* वे **रूपी सोरेन** के पति थे। उनके चार बच्चे हैं: **दुर्गा, हेमंत, बसंत**, और **अंजली** सोरेन। उनके राजनीतिक विरासत को अब बेटे हेमंत सोरेन सोनते रहेंगे ([en.wikipedia.org][4], [en.wikipedia.org][10], [en.wikipedia.org][11])।

शिबू सोरेन का निधन झारखंड की राजनीति में एक युग के अंत के रूप में देखा जा रहा है। 81‑वर्षीय इस आदिवासी नेता ने न केवल JMM के संस्थापक नेतृत्व के रूप में बल्कि आदिवासी ताकत और सामाजिक न्याय के प्रतीक के तौर पर अपने जीवन को समर्पित किया। उनका राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।